भारत का सर्व प्राचीन धर्म ग्रंथ वेद है
विष्णु पुराण - मौर्य वंश
मत्स्य पुराण - आंध्र सातवाहन वंश
वायु पुराण - गुप्त वंश
सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद एवं सबसे बाद का वेद अथर्ववेद है ।
पुराणों में मत्स्य पुराण सबसे प्राचीन एवं प्रमाणित है।
ऋग्वेद के नोवे मंडल में सोम का उल्लेख है।
ऋग्वेद के तीसरे मंडल में सूर्य देवता सावित्री को समर्पित प्रसिद्ध गायत्री मंत्र है ।
ऋग्वेद के आठवें मंडल की हस्तलिखित ऋचाओ को खिल कहा जाता है ।
ऋग्वेद के ऋचाओं को पढ़ने वाले ऋषि को होतृ कहते हैं।
सामवेद के पाठ करता को उद्रातृ कहते हैं।
यजुर्वेद को पढ़ने वाले को अध्वर्यु कहा जाता है।
मैत्रेयीन संहिता में स्त्री को शराब व जुआ के भांति पुरुष का तीसरा दोष माना गया है ,इसी कारण इस से स्त्रियों की स्थिति सर्वाधिक गिरी हुई ज्ञात होती है ।
कल्हण द्वारा रचित राज तरंगिनी पुस्तक है जिसका संबंध कश्मीर के इतिहास से है।
हेरोडोटस - इतिहास का पिता इसने अपनी पुस्तक हिस्टोरिका में भारत और फारस के संबंधों का वर्णन किया है जो अनुश्रुतियों पर आधारित है ।
राजा - यूनानी रोमन लेखक
चंद्रगुप्त मौर्य - मेगस्थनीज
बिम्बिसार - डायमेकस
अशोक - डायोनिसियस
टॉलमी - भारत का भूगोल नामक पुस्तक लिखी।
रिहला - अरबी भाषा मे लिखा गया इब्नबतूता का यात्रा वृतांत
किताब उल हिन्द या तहक़ीक़ ए हिन्द (भारत की खोज) - अलबरूनी द्वारा लिखा गया ।
ह्वेनसांग का भ्रमण वृतांत सी यू की नाम से प्रसिद्ध है ।
ह्नेनसांग के अध्ययन के समय नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य शीलभद्र थे।
जैनधर्म का प्रारंभिक इतिहास कल्पसूत्र से ज्ञात होता है ।
सर्वप्रथम भारत वर्ष का जिक्र हाथीगुम्फा अभिलेख में किया गया है ।
सर्वप्रथम हूणों की जानकारी देने वाला अभिलेख भीतरी स्तम्भ (शासक स्कन्दगुप्त)है ।
सती प्रथा का पहला लिखित साक्ष्य एरण अभिलेख (शासक भानुगुप्त) से मिलता है।
वीणा बजाते हुए मुद्रा - समुद्र गुप्त
ऐहोल अभिलेख - पुलकेशन द्वितीय
प्रयाग प्रशस्ति - समुद्रगुप्त
हाथीगुम्फा - कलिंग राजा खारवेल
अभिलेखों का अध्ययन इपिग्राफी कहलाता है ।
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